Monday, March 14, 2022
Saturday, March 12, 2022
कमर दर्द और आयुर्वेदिक थेरेपी
कमर दर्द एवं आयुर्वेदिक थेरेपी
पीठ दर्द एक आम रोग है। शारीरिक पोस्चर का गलत होना, पोषक तत्वों की कमी, वायु रोग, जीर्ण कब्ज, असंयमित दिनचर्या आदि कारणों से कमर के निचले हिस्से की मांसपेशियां और नस नाड़ियां कमजोर हो जाती हैं ।
आयुर्वेद में पीठ दर्द की समस्या को दूर करने के लिए कई तरह के उपचार दिए जाते हैं. इन उपचारों में कटी बस्ती आयुर्वेदिक थेरेपीज सबसे प्रभावी उपचारों में से एक है. यह थेरेपी विशेष रूप से पीठ दर्द की परेशानी को दूर करने के लिए दी जाती है. कटी बस्ती पंचकर्म चिकित्सा का एक हिस्सा है, जो शरीर को शुद्ध करने के साथ-साथ फिर से स्वस्थ व मजबूत बनाता है।
*कटि बस्ती एक परिचय*
कटी बस्ती को अक्सर पुराने पीठ दर्द, गठिया, जोड़ों की जकड़न और यहां तक कि मांसपेशियों में दर्द जैसी स्थिति में इस्तेमाल की जाने वाली सबसे सुरक्षित और प्रभावकारी आयुर्वेदिक थेरेपी माना जाता है. नियमित समय तक पूर्ण रूप से कटी बस्ती थेरेपी लेने से आपको पीठ दर्द की समस्या का स्थायी समाधान हो जाता है।
यह एक बेहतरीन आयुर्वेदिक थेरेपी है. वस्ति एक रिंग के आकार के रूप को कहा जाता है, जिसे अनाज से बनाया होता है. इस प्रक्रिया में वस्ति को प्रभावित क्षेत्र पर रखा जाता है और फिर उसमें गर्म औषधीय तेल डाला जाता है।
त्वचा धीरे-धीरे तेल को सोख लेती है और 30 से 40 मिनट के बाद रिंग को हटा दिया जाता है और बचे हुए तेल से प्रभावित हिस्से की मालिश की जाती है. इस आयुर्वेदिक थेरेपी से न सिर्फ आपको दर्द से राहत मिलती है, बल्कि सख्त मांसपेशियां में भी रक्त का संचार बेहतर तरीके से होता है. वस्ति विभिन्न प्रकार की होती है।
*कटी बस्ती के लाभ*
1. थेरेपी द्वारा वात दोष को दूर किया जाता है।
2. इससे पीठ में सूजन, जकड़न और दर्द का इलाज करने में मदद मिलती है।
3.कटि वस्ति थेरेपी के दौरान उपयोग किए जाने वाले हर्बल तेल मांसपेशियों को गहराई से पोषण और मजबूती देने में मदद करते हैं।
4. इस थेरेपी से जोड़ों का लचीलापन और दर्द दूर हो सकता है. ऐसे में अगर आपको जोड़ों में किसी तरह की समस्या है, तो आप इस थेरेपी को ले सकते हैं।
5.यह थेरेपी लंबर स्पॉन्डिलाइटिस, इंटरवर्टेब्रल डिस्क प्रोलैप्स, लूम्बेगो या लोबर पीठ दर्द जैसी समस्याओं को दूर करने में प्रभावी हो सकती है।
6. कटि बस्ती आयुर्वेदिक थेरेपी वात दोष को शांत करने में मदद करती है, जिससे इंटरवर्टेब्रल जोड़ों की समस्याओं से दूर करने में सहायक है। इससे मांसपेशियों को आराम मिलता है।
7.यह थेरेपी लेने से रक्त संचार में भी सुधार हो सकता है।
8. कटि वस्ति रीढ़ को मजबूत करने और पीठ दर्द को रोकने के लिए भी एक निरापद व प्रभावी आयुर्वेदिक उपचार है।
9. कटी बस्ती एक बेहद प्रभावकारी थेरेपी है, जो आपकी रीढ़ की हड्डी को मजबूत करने में असरदार हो सकती है. साथ ही यह पीठ दर्द से राहत दिलाने में भी मदद करती है.
10. इस थेरेपी की मदद से पीठ की मांसपेशियों को आराम मिलता है।
आयुर्वेद एक्सपर्ट की सलाह पर ही इस थेरेपी को लें।
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अशोक विहार दिल्ली।
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Thursday, March 10, 2022
अनुलोम विलोम प्राणायाम और उसके लाभ
अनुलोम विलोम प्राणायाम
हर मौसम में सभी उम्र के साधक स्वस्थ हों अथवा रोगी हर कोई इसका अभ्यास कर सकता है।
विधि - सुखासन सिद्धासन अथवा पदमासन में बैठें। बाएं हाथ की ज्ञान मुद्रा तथा दायाँ हाथ प्राणायाम मुद्रा में रखकर बायीं नासिका से श्वास लेकर दायीं नासिका से बाहर छोड़ें । इसी प्रकार अब दायीं नासिका से श्वास लेकर बायीं ओर छोड़ें ।ये क्रम लगातार चलता रहे। श्वास लेकर हर बार थोडा रुककर कुम्भक करें तो और अच्छा है।
चिकनगुनिया और डेंगू का प्राकृतिक उपचार
चिकुनगुनिया व डेंगू का प्राकृतिक उपचार
निम्न प्राकृतिक उपचार करें -
1. गिलोय, पपीते के पत्ते व व्हीट ग्रास का जूस लें। तीनोँ मिक्स रेडीमेड भी मिल जाता है।
2. दो से 4 तुलसी व नीम के पत्ते लें या नीम गिलोय तुलसी और व्हीट ग्रास मिक्स टैबलेट ग्रासोविट के नाम से रेडीमेड मिल जाती है दो दो टैबलेट सुबह शाम लें।
3. पानी नारियल पानी और मौसम्बी का रस बार बार लें।
4. हल्दी और नमक पानी में डालकर गुनगुने पानी से गरारे करें।
5. नाक बंद व खांसी या गले की खराश या संक्रमण को दूर करने के लिए षड बिंदु तेल की तीन तीन बूंदें दोनो नसिकाओं में डालें।
6.खांसी जुकाम, कफ बलगम व कमजोरी दूर करने के लिए सितोपलादी चूर्ण शहद में मिलाकर दिन में दो बार लें।
7.कीवी, अनार, सेव, हरा सिंगाडा आदि फल लें।
8. एनरज़ल पाउडर पानी में घोल के बार बार लें।
9. पांच दाने मुनक्का के भूनकर नमक लगा कर लें
10. जोड़ों में दर्द के लिए अश्वगन्धा का तेल लगाएं या तिल तैल में अजवाईन और लहसुन गर्म करके तैल तैयार करके लगाएं।
11. संभव हो तो जलनेति व कुंजल क्रिया करें, नीम के पानी का एनीमा बहुत लाभदायक।
12. अनुलोम विलोम प्राणायाम 20 मिनट सुबह शाम करें।
13. बादाम और किशमिश 8- 8 पीस व अंजीर दो पीस भिगो कर रखे 10 से 12 घंटे बाद लें। अंकुरित आहार भी शामिल करें।
14. घर को कीटाणु मुक्त रखने के लिए कपूर या गुग्गल युक्त हवन सामग्री घर में जलाएं या नीम पाउडर जला कर घर में धुआं दें।
15. विश्राम यानि आराम पूरा करें और तनाव ना ले।
16.डेंगू चिकुनगुनिया के दर्द से परेशान रोगी पंचकर्म व प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से उपचार लेवें।
डॉ राजेश बतरा
वैलनेस केयर, योग -प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र एवं योग संस्कृति उत्थान पीठ अशोक विहार, दिल्ली द्वारा जनहित में जारी।
कार्यालय: 9250664422
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Wednesday, March 9, 2022
अणु तेल और षड बिंदु तेल के औषधीय लाभ
*अणु तेल / षड बिंदु तेल*
यह एक बहुत ही सरल और निरापद आयुर्वेदिक तेल है जिसका इस्तेमाल नासिका रोगों के लिए किया जाता है। कोरोना काल में इसका प्रयोग बहुत ही लाभकारी सिद्ध हुआ है विशेषकर कोविड रोगियों के लिए भी।
यह एक बहुत ही गुणकारी आयुर्वेदिक शास्त्रीय तेल है जिसमें समृद्ध व शक्तिशाली जड़ी बूटियां तेलों जैसे चंदन, बला, तेजपत्र, दारूहल्दी, यिष्टिमधु, विडंग, नागकेसर,जीवंती और त्वक आदि से बना है।
प्रयोग - दोनों नासिकाओं में अणु तेल की दो दो बूंदें सुबह शाम या एक समय पर डालें।
लाभ -
1. दोनों नासिकाओं में अणु तेल डालकर नस्य करने से नाक कान गले के संक्रमण व अनेक रोग दूर हो जाते हैं।
2. साइनोसाइटिस, नाक का बंद होना, माइग्रेन, टॉन्सिल्स आदि रोगों को दूर करने में लाभकारी है।
3. श्वास नलियों के संक्रमण को दूर कर मजबूती
करता है।
4. तनाव दूर कर मन को विश्राम पहुंचाता है।
5. बालों का असमय सफेद होना दूर करता है व शरीर से सभी टॉक्सिंस को बाहर निकाल शरीर का शोधन करता है।
*अन्य लाभ -*
1.खांसी, जुकाम, कफ बलगम को दूर कर स्वास नालियों व फेफड़ों को मजबूती प्रदान करता है।
2. साइनस व प्रदूषण जनित एलर्जी को दूर करता है।
सावधानी - वैसे तो इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है फिर भी 12 वर्ष से छोटे बच्चों के लिए प्रयोग न करें।
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Monday, March 7, 2022
सितोपलादि चूर्ण के गुण ब लाभ
*सितोपलादि चूर्ण*
यह एक बहुत ही सरल और निरापद आयुर्वेदिक औषधि है। इसमें मिश्री, वंशलोचन, छोटी पीपल, छोटी इलायची और दालचीनी का मिश्रण होता है।
*सितोपलादि चूर्ण के लाभ -*
1.खांसी, जुकाम, कफ बलगम को दूर कर स्वास नालियों व फेफड़ों को मजबूती प्रदान करता है।
2. साइनस व प्रदूषण जनित एलर्जी को दूर करता है।
3. ज्वर, कमजोरी व पाचन तंत्र के रोगों को दूर कर रोग प्रतिरोधक क्षमता बदाता है।
बच्चों और बूढ़ों को भी दिया जा सकता है।
सेवन - रोग, रोगी व आयु के अनुसार ले सकते हैं। आधे से एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार।
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Sunday, March 6, 2022
मशरूम के औषधीय गुण
*मशरूम के औषधीय गुण*
मशरूम एक साधारण शाक है जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है।
मशरूम में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट हमें भंयकर फ्री रेडिकल्स से बचाता है। इसको खाने से शरीर में एंटीवाइरल और अन्य प्रोटीन की मात्रा बढती है, जो कि कोशिकाओं को रिपेयर करता है। यह एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक है जो कि माइक्रोबियल और अन्य फंगल संक्रमण को ठीक करता है।
*अन्य लाभ*
1.मशरुम का सेवन करने से जीर्ण रोगों से निजात पाई जा सकती है।
2. मशरुम हमारे शरीर को कई रोगों से राहत दिलवाने में मददगार साबित हुआ हैं जैसे: हृदय, लिवर संबंधित बीमारियों से बचाने में मदद करता हैं ।
3. ब्लड प्रैशर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है।
4. मधुमेह में भी लाभकारी है।
मशरूम वह सब कुछ देगा जो मधुमेह रोगी को चाहिये। इसमें विटामिन, मिनरल और फाइबर होता है। साथ ही इमसें फैट, कार्बोहाइड्रेट और शुगर भी नहीं होती, जो कि मधुमेह रोगी के लिये जानलेवा है। यह शरीर में इनसुलिन को बनाती है।
5. मोटापा कम करता है ।
इसमें लीन प्रोटीन होता है जो कि वजन घटाने में बडा़ कारगर होता है। मोटापा कम करने वालों को प्रोटीन डाइट पर रहने को बोला जाता है, जिसमें मशरूम खाना अच्छा माना जाता है।
6. मैटाबॉलिज्म को मजबूत करता है। मशरूम में विटामिन ‘बी’ होता है जो कि भोजन को ग्लूकोज़ में बदल कर ऊर्जा पैदा करता है। विटामिन बी-2 और बी-3 भी मैटाबॉलिज्म को दुरुस्त रखते हैं। इसलिए मशरूम खाने से मैटाबॉलिज्म बेहतर बना रहता है।
इस प्रकार मशरूम शरीर के विभिन्न रोगों में लाभकारी होने के साथ साथ रोग प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाता है।
*अतः मशरूम खाएं, स्वस्थ रहें।*
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त्रिफला के औषधीय गुण
Awareness Post 101/2022 #drrajeshbatra
*त्रिफला के औषधीय गुण*
परिचय -
त्रिफला एक आयुर्वेद का वरदान है। इसके गुणों की दृष्टि से हम इसे महा औषधि कह सकते हैं।
आयुर्वेद में त्रिफला को शरीर में त्रिदोष (वात,पित्त और कफ) को संतुलित करने के लिए जाना जाता है। त्रिफला पांच प्रकार के रस या स्वाद से युक्त है। इसका स्वाद मीठा, खट्टा, कसैला, कड़वा और तीखा होता है।
*घटक द्रव्य और उनके लाभ*-
त्रिफला या त्रिफला चूर्ण एक सुप्रसिद्ध आयुर्वेदिक मिश्रण है जिसे आमलकी (आंवला), विभीतकी और हरीतकी (हरड़) से तैयार किया गया है। यहां तक कि त्रिफला नाम का अर्थ ही ‘तीन फल’ है। आयुर्वेद में त्रिफला चूर्ण को मुख्य रूप से ‘रसायन’ गुणों के लिए जाना जाता है क्योंकि ये मिश्रण शरीर को शक्ति प्रदान करने और स्वस्थ बनाए रखने में बहुत असरकारी है। ये अनेकों बीमारियों से भी रक्षा करता है।
*त्रिफला चूर्ण निम्न जड़ी बूटियों का मिश्रण है:*
1. आंवला
आंवला या आमलकी पूरे देश में उपलब्ध सबसे सामान्य फलों में से एक है। आंवला में फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट, खनिज पदार्थ प्रचुर मात्रा में होते हैं । इसे विटामिन सी का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है। आंवले के सेवन से पेट दुरुस्त रहता है और कब्ज से बचाव होता है। आंवला संक्रमण से भी लड़ने में मदद करता है एवं यह एक एंटी-एजिंग (बढ़ती उम्र के निशान घटाने वाला) फल के रूप में भी प्रसिद्ध है।
2. विभीतकी ( बहेड़ा)
आयुर्वेद में इसे दर्द निवारक, एंटीऑक्सीडेंट और लिवर को सुरक्षा प्रदान करने के लिए उपयोगी माना गया है। श्वास संबंधित समस्याओं के इलाज में विभीतकी लाभकारी है एवं इसमें डायबिटीज को रोकने के गुण भी मौजूद हैं। आयुर्वेद के अनुसार विभीतकी फल में कई जैविक यौगिक मौजूद हैं जैसे कि ग्लूकोसाइड, टैनिन, गैलिक एसिड, इथाइल गैलेट आदि। इन यौगिकों के कारण ही विभीतकी स्वास्थ्य के लिए इतनी फायदेमंद होती है।
3. हरीतकी ( हरड़)
आयुर्वेद में हरीतकी बहुत ही महत्वपूर्ण जड़ी बूटी है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, सूजन-रोधी और बढ़ती उम्र को रोकने के गुण मौजूद होते हैं साथ ही ये घाव को ठीक करने में भी उपयोगी है। ये लिवर को सामान्य रूप से कार्य करने में मदद करती है। आयुर्वेद में इसे पेट, ह्रदय और मूत्राशय के लिए भी फायदेमंद माना गया है। यहां तक कि इसे ‘औषधियों का राजा’ भी कहा जाता है।
*सामान्य लाभ*-
1. जीर्ण से जीर्ण कब्ज़ दूर करने में सहायक।
2. उदर विकारों एवं पेट में गैस की समस्या (एसिडिटी) लाभकारी।
3. नेत्र ज्योति बढ़ाने में सहायक।
4. शरीर के सभी टॉक्सिंस ( विजातीय द्रव्यों) को जड़ से बाहर कर वजन घटाने और मोटापा कम करने में सहायक।
5. भूख व पाचन शक्ति बढ़ाता है
6.बालों का झड़ना रोकता है।
अनेक प्रकार के रोगों से रक्षा कर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है।
- डॉ राजेश बतरा ।
*विशेष जानकारी हेतु संपर्क -*
वेलनेस केयर, योग प्राकृतिक चिकित्सा एवं आयुर्वेद केंद्र
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