त्यौहार पर मिलावटी मिठाइयों के ज़हर से सावधान
- डॉ राजेश बतरा
भारत विविधताओं का देश है जहाँ हर मौसम, हर अवसर और हर संस्कृति को उत्सव का रूप दिया जाता है। दीपावली, दशहरा, होली, रक्षाबंधन, ईद, क्रिसमस और कई अन्य पर्व पूरे देश में बड़े उल्लास और उमंग से मनाए जाते हैं। इन त्योहारों में मिठाइयों का विशेष महत्व होता है। चाहे रिश्तेदारों को उपहार देना हो या मेहमानों का स्वागत करना, मिठाई बिना हर उत्सव अधूरा सा लगता है। परंतु आजकल इन मिठाइयों की मिठास में कड़वाहट घुल रही है। बाजार में बढ़ती मिलावटखोरी के कारण त्योहारों की खुशी स्वास्थ्य पर भारी पड़ने लगी है।
त्योहारों के सीजन में मिठाइयों की मांग अचानक कई गुना बढ़ जाती है। इस अवसर का लाभ उठाने के लिए कुछ लालची व्यापारी शुद्धता और गुणवत्ता की अनदेखी करके मिठाइयों में मिलावट करने लगते हैं। यही कारण है कि दूध से बनी मिठाइयों में सिंथेटिक दूध, खोया की जगह स्टार्च, चाँदी के वर्क की जगह एल्युमिनियम का पत्ता, और स्वाद व रंग बढ़ाने के लिए हानिकारक रसायनों का प्रयोग धड़ल्ले से होने लगा है। यह सब दिखने में भले आकर्षक लगे, पर शरीर के लिए जहर साबित होता है।
मिठाइयों में मिलावट के सामान्य रूप
मिलावटी दूध और खोया – दूध से बनी मिठाइयों में अक्सर सिंथेटिक दूध या साबुन-यूरिया मिला दूध इस्तेमाल किया जाता है। खोया की जगह स्टार्च, आलू या सिंथेटिक पाउडर का प्रयोग होता है।
रंग और फ्लेवर – मिठाइयों को आकर्षक दिखाने के लिए आर्टिफिशियल रंग और एसेंस मिलाए जाते हैं। इनमें से कई रंग औद्योगिक ग्रेड के होते हैं जो शरीर के लिए बेहद हानिकारक हैं।
चाँदी का वर्क – असली चाँदी का वर्क महंगा होता है। इसलिए सस्ते व्यापारी इसके बदले एल्युमिनियम का वर्क चढ़ा देते हैं, जो आंतों और लीवर पर बुरा असर डालता है।
घी और तेल में मिलावट – लड्डू, जलेबी या नमकीन में अक्सर घी की जगह सस्ता तेल, या पुराने बासी तेल का उपयोग होता है।
कृत्रिम मिठास – चीनी महँगी होने या कम मिठास में अधिक असर लाने के लिए सैकरिन या साइक्लेमेट जैसे आर्टिफिशियल स्वीटनर का प्रयोग किया जाता है।
स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव
त्योहार की खुशियाँ मिलावटी मिठाई खाकर तुरंत बीमार कर सकती हैं और कई बार यह गंभीर रोगों को जन्म देती हैं।
पाचन तंत्र की गड़बड़ी – दस्त, उल्टी, पेट दर्द और गैस जैसी समस्याएँ सबसे पहले होती हैं।
लीवर और किडनी पर असर – लगातार मिलावटी पदार्थों का सेवन लीवर को कमजोर करता है और किडनी पर दबाव डालता है।
हृदय रोग का खतरा – आर्टिफिशियल घी और तेल का सेवन हृदय रोग और ब्लड प्रेशर की समस्या को बढ़ा देता है।
कैंसर का खतरा – कुछ सिंथेटिक रंग और रसायन कैंसरकारी (Carcinogenic) माने गए हैं।
एलर्जी और स्किन प्रॉब्लम – कृत्रिम रंग और फ्लेवर से त्वचा पर एलर्जी, खुजली और दाने हो सकते हैं।
क्यों होती है मिलावट?
मांग और आपूर्ति का दबाव – त्योहारों पर मांग अचानक बहुत बढ़ जाती है। व्यापारी इस मांग को पूरा करने के लिए शॉर्टकट अपनाते हैं।
अधिक मुनाफे की लालच – शुद्ध दूध, घी और चाँदी महंगे होते हैं। सस्ता विकल्प अपनाकर व्यापारी अधिक मुनाफा कमाते हैं।
निगरानी की कमी – मिलावट पर सख्ती से रोक लगाने वाले नियम तो हैं, लेकिन त्योहार के समय इतनी निगरानी संभव नहीं हो पाती।
ग्राहक की लापरवाही – उपभोक्ता भी केवल दिखावे और सस्ते दाम देखकर मिठाई खरीद लेते हैं, गुणवत्ता की जाँच नहीं करते।
पहचान के सरल उपाय
हर उपभोक्ता थोड़ी सावधानी बरते तो मिलावटी मिठाई से बचा जा सकता है। कुछ घरेलू परीक्षण आसान हैं:
खोया और पनीर – आयोडीन टिंचर की कुछ बूँदें डालने पर यदि नीला रंग आ जाए तो उसमें स्टार्च की मिलावट है।
चाँदी का वर्क – असली चाँदी का वर्क उँगली से मसलने पर आसानी से घुल जाता है जबकि एल्युमिनियम का नहीं।
दूध – पानी मिलावट की जाँच के लिए दूध की एक बूँद चिकनी सतह पर डालें। यदि बूँद बिना फैले नीचे गिरे तो शुद्ध है, अन्यथा मिलावटी।
घी और तेल – घी को फ्रिज में रखने पर यदि यह सफेद होकर जम जाए तो शुद्ध है, पीला या अलग परतों वाला घी मिलावटी होता है।
मिठाइयों में उपयोग होने वाले रसायन और उनके दुष्प्रभाव
त्योहारों पर मिठाइयों को चमकदार और आकर्षक दिखाने के लिए कई तरह के रंग, प्रिज़र्वेटिव, और कृत्रिम रसायन मिलाए जाते हैं। ये देखने में सुंदर होते हैं, लेकिन शरीर के लिए बेहद हानिकारक साबित होते हैं।
1. मेटालिक रंग (Metallic Colors)
कॉपर सल्फेट (Copper Sulphate) – हरे रंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
दुष्प्रभाव: पेट दर्द, उल्टी, लीवर और किडनी को नुकसान।
लेड क्रोमेट (Lead Chromate) – पीला रंग चमकदार बनाने के लिए।
दुष्प्रभाव: दिमाग और नर्वस सिस्टम को नुकसान, बच्चों में मानसिक विकास धीमा होना।
मेटानिल येलो (Metanil Yellow) – हल्दी जैसा पीला रंग लाने के लिए।
दुष्प्रभाव: कैंसरकारी, एलर्जी, ब्लड प्रेशर पर असर।
2. कृत्रिम रंग (Artificial Colors)
Rhodamine B (गुलाबी/लाल रंग के लिए प्रयोग)
दुष्प्रभाव: आँखों में जलन, त्वचा रोग, कैंसर का खतरा।
Malachite Green (हरे रंग के लिए)
दुष्प्रभाव: फेफड़े और लीवर को नुकसान, DNA पर नकारात्मक असर।
3. कृत्रिम मिठास (Artificial Sweeteners)
सैकरिन (Saccharin) – चीनी की जगह इस्तेमाल।
दुष्प्रभाव: ब्लैडर कैंसर का खतरा, पेट में गैस, बच्चों में हाइपरएक्टिविटी।
साइक्लेमेट (Cyclamate)
दुष्प्रभाव: ब्लड प्रेशर असंतुलन, नसों की कमजोरी, कैंसर का खतरा।
4. सस्ते वर्क और धातुएँ
एल्युमिनियम वर्क (Aluminium Foil) – असली चाँदी की जगह।
दुष्प्रभाव: अल्ज़ाइमर और नर्वस सिस्टम पर बुरा असर, पेट की समस्या।
5. मिलावटी घी/तेल
आर्गेनिक सॉल्वेंट व डिटर्जेंट के अवशेष – मिलावटी या सिंथेटिक घी में पाए जाते हैं।
दुष्प्रभाव: हृदय रोग, ब्लड प्रेशर, मोटापा और कोलेस्ट्रॉल की समस्या।
6. अन्य मिलावट
यूरिया – दूध को गाढ़ा और सफेद दिखाने के लिए।
दुष्प्रभाव: किडनी फेल, ब्लड में टॉक्सिक असर।
फॉर्मेलिन (Formalin) – मिठाइयों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए।
दुष्प्रभाव: कार्सिनोजेनिक (कैंसरकारी), सांस लेने में दिक्कत, आँखों में जलन।
त्योहारों पर मिठाइयाँ देखने में भले ही रंग-बिरंगी और स्वादिष्ट लगें, लेकिन यदि उनमें कॉपर सल्फेट, लेड क्रोमेट, मेटानिल येलो, रोडामाइन बी, मालाकाइट ग्रीन, सैकरिन, साइक्लेमेट, एल्युमिनियम वर्क, यूरिया या फॉर्मेलिन जैसे रसायन मिले हों तो यह हमारे शरीर के लिए धीरे-धीरे जहर साबित होते हैं।
बचाव के उपाय
ब्रांडेड और विश्वसनीय दुकानों से खरीदें – खुली और सड़क किनारे बिक रही मिठाइयों से बचें।
ताज़ा बनी मिठाई लें – पैकेट पर निर्माण व समाप्ति तिथि अवश्य देखें।
कम मात्रा में खरीदें – त्योहार पर दिखावे के लिए ढेर सारी मिठाई खरीदने की बजाय कम मात्रा में ताज़ा मिठाई लें।
घर पर मिठाई बनाना – सबसे सुरक्षित और पवित्र तरीका है कि घर पर ही शुद्ध सामग्री से मिठाई बनाई जाए।
प्राकृतिक विकल्प अपनाएँ – गुड़, शहद, मेवे और फल जैसे पारंपरिक विकल्प मिठास के साथ स्वास्थ्य भी देंगे।
सरकार और समाज की जिम्मेदारी
केवल उपभोक्ता ही नहीं, सरकार और समाज की भी ज़िम्मेदारी है कि मिलावटखोरी पर सख्ती से रोक लगे।
खाद्य सुरक्षा विभाग को त्योहारों के पहले और दौरान बाज़ारों में विशेष अभियान चलाना चाहिए।
दुकानदारों पर जुर्माना और लाइसेंस रद्द करने जैसी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को मिलावट पहचानने की जानकारी दी जानी चाहिए।
स्वयंसेवी संगठन और मीडिया को भी लोगों को शिक्षित करना चाहिए।
निष्कर्ष
त्यौहार हमारी संस्कृति और समाज को जोड़ने का माध्यम हैं। मिठाइयाँ इन त्योहारों की आत्मा हैं, लेकिन जब उनमें मिलावट का जहर घुल जाता है तो यह त्योहारों की खुशी छीन लेता है। इसलिए हर उपभोक्ता को जागरूक होना होगा। थोड़ी सावधानी और समझदारी से हम न केवल अपने परिवार की रक्षा कर सकते हैं बल्कि मिलावटखोरी करने वालों को भी सबक सिखा सकते हैं।
आइए, इस त्यौहार पर यह संकल्प लें कि हम केवल शुद्ध और सुरक्षित मिठाइयों का ही सेवन करेंगे, मिलावटखोरी करने वाले व्यापारियों का बहिष्कार करेंगे और अपने समाज को स्वस्थ एवं सुरक्षित बनाएँगे। तभी त्योहार की असली मिठास हमारे जीवन में बनी रहेगी।
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